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कण-कण में राम हैं 
जन जन में राम हैं 
राम रमते हर जगह 
हर मन में राम हैं ।(2)

राम से आराम है 
राम ही आसान है 
राम से है धरती
राम से आसमान हैं (2)
राम से हैं नाते अनेक (2)
मात पिता राम हैं ।
राम रमते हर जगह 
हर मन में राम हैं ।

राम को जिसने जाना 
वो राम के हो गये ।
राम को जिसने माना 
वो राम के हो गये (2)
वही धार वही नैया (2)
खेवनहार राम हैं ।
राम रमते हर जगह 
हर मन में राम हैं ।

राम बिना जीवन अधूरा 
राम बिना सब अधूरा
राम सबके आधार 
राम बिना जग अधूरा  ।(2)
राम ही हैं आदि अंत (2)
अनंत भी राम हैं 
राम रमते हर जगह 
हर मन में राम हैं 

 राघवेन्द्र दुबे बिलासपुर छत्तीसगढ़